Sunday, September 26, 2010

BIHAR ELECTION 2010

 बिहार विधानसभा में करीब 109 सदस्य ऐसे हैं जिनके खिलाफ हत्या, अपहरण और जबरन धन वसूली जैसे गंभीर अपराधों के सिलसिले में आपराधिक मामले लंबित हैं।




देश के करीब 1,000 गैर-सरकारी संगठनों के समूह 'एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉ‌र्म्स एंड नेशनल इलेक्शन वाच' [एडीआर-एनईडब्ल्यू] के नवीनतम सर्वे के अनुसार, राज्य की 243 सदस्यीय विधानसभा में कुल 109 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं।



आंकड़ों के अनुसार, इनमें से 64 सदस्यों के खिलाफ गंभीर आपराधिक आरोप हैं। यह विश्लेषण वर्ष 2005 में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए 919 उम्मीदवारों द्वारा दाखिल हलफनामों के आधार पर किया गया। 358 उम्मीदवारों ने हलफनामों में बताया था कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं और 213 ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले लंबित होने की सूचना दी थी।



एडीआर-एनईडब्ल्यू ने 233 विधायकों के हलफनामों का विश्लेषण करने के बाद पाया कि इनमें से 109 विधायक जब चुनाव जीते, तब उनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित थे। सर्वाधिक 39 विधायक जदयू के, 32 भाजपा के और 19 राजद के थे।



आंकड़ों के अनुसार, लोजपा के छह विधायक और कांग्रेस के तीन विधायक जब निर्वाचित हुए तब उनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित थे।



सर्वाधिक 32 मामले निर्दलीय उम्मीदवार प्रदीप कुमार के खिलाफ लंबित थे जो वारसालीगंज से चुनाव जीते थे। सोनबरसा से चुनाव जीतने वाले किशोर कुमार के खिलाफ 25 मामले लंबित थे।



सर्वे के अनुसार, केसरिया से राजद के राजेश कुमार रौशन, बनियापुर से जदयू के मनोरंजन सिंह जैसे विधायकों पर हत्या, अपहरण और लूटपाट मामलों के सिलसिले में भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत 15 से अधिक मामले दर्ज थे।



एडीआर-एनईडब्ल्यू ने मांग की है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को दूर रखा जाए और राजनीतिक दल ऐसे उम्मीदवारों को टिकट न दें। बिहार में 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए छह चरणों में चुनाव होंगे। इनकी शुरुआत 21 अक्टूबर से होगी।

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